शिव राव समिति की सिफारिशों के बाद व्यावसायिक मार्गदर्शन राष्ट्रीय रोजगार सेवा का एक अभिन्न हिस्सा बन गया।
व्यावसायिक मार्गदर्शन का अर्थ है व्यक्तिगत को करियर योजना, शैक्षणिक और व्यावसायिक अध्ययन से संबंधित समस्याओं को हल करने में सहायता प्रदान करना, जिसमें रुचि, योग्यता, क्षमता, परिवार की वित्तीय पृष्ठभूमि और नवीनतम मानव संसाधन बाजार की स्थिति को ध्यान में रखा जाता है। ये सेवाएं स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर छात्रों और अभिभावकों को प्रदान की जाती हैं। जानकारी डाक के माध्यम से भी उपलब्ध कराई जाती है। रोजगार कार्यालयों में व्यक्तिगत और समूह मार्गदर्शन गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। संक्षेप में, जानकारी का संग्रह, संकलन और प्रसार शैक्षणिक और व्यावसायिक कार्यक्रमों का मूल मंत्र है।
I) जानकारी का संग्रह और संकलन
- विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में उपलब्ध पाठ्यक्रम, विषय, अवधि, छात्रवृत्ति आदि।
- देश में प्रशिक्षण सुविधाएं और उनका प्रवेश प्रक्रिया।
- इन पाठ्यक्रमों को पूरा करने के बाद उपलब्ध रोजगार अवसर।
- नौकरी प्रोफाइल की जानकारी जिसमें आवश्यकताएं, नौकरी का प्रकार, कार्य के घंटे और पदोन्नति का मार्ग शामिल है।
II) जानकारी का प्रसार
- व्यक्तिगत मार्गदर्शन: रोजगार अधिकारी द्वारा।
- समूह मार्गदर्शन: उम्मीदवारों के समूह के लिए।
- करियर टॉक्स: छात्रों को शैक्षणिक और व्यावसायिक अवसरों पर।
- करियर सम्मेलन: संस्थानों में विशेषज्ञ व्याख्यान और संवाद सत्र।
- करियर प्रदर्शनियाँ: ऑडियो-वीज़ुअल सहायता के साथ।
- करियर साहित्य: क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार या अनुवादित, विद्यालयों और कॉलेजों में वितरित।
मार्गदर्शन केंद्र
विशेष करियर शिक्षक सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। जिला समन्वय समितियाँ मार्गदर्शन गतिविधियों का समन्वय करती हैं।
स्वयं रोजगार
- संभावित उद्यमियों की पहचान और प्रोत्साहन।
- स्वयं रोजगार शिविर, मेले, सेमिनार, सम्मेलन और प्रदर्शनियाँ आयोजित करना।
- इच्छुक आवेदकों के आवेदन संबंधित विभागों को अग्रेषित।